Wednesday 20 April 2011

या कसी जबरदस्ती है रे ?


आज हवेरे-हवेरे मैं पेपर वाचवा ने बैठी तो मने भण्यों कि विश्व बैडमिंटन महासंघ (बीडबल्यूएफ) ऐ फरमान जारी करयो है कि 1 मई रा बाद से जो भी छोरियाँ कोर्ट पे बैडमिंटन खेलवा ने आवेगा। वी हगरी छोरियाँ नानी सी घाघरी (स्कर्ट) पैरी ने आवेगा। अब मने थेइज वताओ या कसी वात है जणी में कोई दम इज कोनी। अणारों फरमान बापड़ा गाम रा लोका रा तो गले कोनी उतरवा वालो। गाम री छोरियाँ भी घाघरी पैरे ने भणवा लिखवा ने जावे, पण नानी घाघरी तो वी भी कणी कीमत पे नी पैरेगा। अणी रो मतबल यो वियो कि गाम री छोरियाँ अबे बैडमिंटन खेलवा री तो होची ज नी सके। यो खेल तो अबे शेर री ज छोरियाँ खेलेगा।

देखो, थम म्हारी वात माणों तो बैट फुद्दी रा खेल वस्ते टेक्नीक री जरूरत रे न कि नाना-नाना कपड़ा री। यो खेल तो पजामा में भी घणो हऊ खेल्यो जाई सके। पण न जाणे क्यों ई लोका छीतरा ने खेल री पेचाण वणई ने गाम री छोरियाँ ने ई खेल से दूर करी रिया है?    
                                                     - गायत्री शर्मा   

1 comment:

  1. खेल वस्ते टेक्नीक री जरूरत रे न कि नाना-नाना कपड़ा री।

    गायत्री जी
    आपने बिलकुल ठीक कहा है ..खेल को खेलने के लिए मेहनत , खेल भावना और प्रोत्साहन की आवश्यकता है ..लेकिन यहाँ पर उससे हट कर बात की जाती है ..जो कि किसी भी तरीके से सही नहीं है ...आपका शुक्रिया

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